75 REPUBLIC DAY

 संविधान की प्रस्तावना

                         ४२वें संशोधन से पूर्व भारत के संविधान की प्रस्तावना

                       

                            भारतीय संविधान की उद्देशिका

संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: उनसे पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। प्रस्तावना के नाम से भारतीय संविधान का सार, अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है इसी कारण यह 'हम भारत के लोग' - इस वाक्य से प्रारम्भ होती है। केहर सिंह बनाम भारत संघ के वाद में कहा गया था कि संविधान सभा भारतीय जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं करती अत: संविधान विधि की विशेष अनुकृपा प्राप्त नहीं कर सकता, परंतु न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए संविधान को सर्वोपरि माना है जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है।


संविधान की प्रस्तावना:

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथाउन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिएदृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।



संविधान की प्रस्तावना 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा सविधान सभा में प्रस्तुत की गयी प्रस्तावना को आमुख भी कहते हैं।
संविधान की प्रस्तावना 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा सविधान सभा में प्रस्तुत की गयी प्रस्तावना को आमुख भी कहते हैं।



के एम मुंशी ने प्रस्तावना को 'राजनीतिक कुण्डली' नाम दिया है

के एम मुंशी



42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्ष व अखण्डता शब्द जोड़े गए।


परिचय 

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है |जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई 1946 में निर्वाचन हुए थे। संविधान सभा की पहली बैठक दिसम्बर 1946 को हुई थी। इसके तत्काल बाद देश दो भागों - भारत और पाकिस्तान में बँट गया था। संविधान सभा भी दो हिस्सो में बँट गई - भारत की संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा।


भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ। इसी दिन कि याद में भारत में हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था


संक्षिप्त परिचय

भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 470 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं। संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद् में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की पर प्रधानमन्त्री होगा, राष्‍ट्रपति इस मन्त्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मन्त्रिपरिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमन्त्री है जो वर्तमान में नरेन्द्र मोदी हैं। मन्त्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोगों के सदन (लोक सभा) के प्रति उत्तरदायी है। प्रत्‍येक राज्‍य में एक विधानसभा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक,आन्ध्रप्रदेश और तेलंगाना में एक ऊपरी सदन है जिसे विधानपरिषद कहा जाता है। राज्‍यपाल राज्‍य का प्रमुख है। प्रत्‍येक राज्‍य का एक राज्‍यपाल होगा तथा राज्‍य की कार्यकारी शक्ति उसमें निहित होगी। मन्त्रिपरिषद, जिसका प्रमुख मुख्‍यमन्त्री है, राज्‍यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्‍पादन में सलाह देती है। राज्‍य की मन्त्रिपरिषद से राज्‍य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।


संविधान की सातवीं अनुसूची में संसद तथा राज्‍य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। तथा इसी अनुसूची में सरकारों द्वारा शुल्क एवं कर लगाने के अधिकारों का उल्लेख है। इसके अंतर्गत तीन सूचियां हैं। संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची। अवशिष्‍ट शक्तियाँ संसद में विहित हैं। केन्‍द्रीय प्रशासित भू-भागों को संघराज्‍य क्षेत्र कहा जाता है।


भारतीय संविधान के भाग

भारतीय संविधान 22 भागों में विभ!जित है तथा इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।


भाग ह1संघ और उसके क्षेत्र(अनुच्छेद 1-4)

भाग 2नागरिकता(अनुच्छेद 5-11)

भाग 3मूलभूत अधिकार(अनुच्छेद 12 - 35)

भाग 4राज्य के नीति निदेशक तत्त्व(अनुच्छेद 36 - 51)भाग 4Aमूल कर्तव्य(अनुच्छेद 51A)

भाग 5संघ(अनुच्छेद 52-151)

भाग 6राज्य(अनुच्छेद 152 -237)

भाग 7संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित(अनु़चछेद 238)

भाग 8संघ राज्य क्षेत्र(अनुच्छेद 239-242)भाग 9पंचायत(अनुच्छेद 243- 243O)

भाग 9Aनगरपालिकाएँ(अनुच्छेद 243P - 243ZG)

भाग 10अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र(अनुच्छेद 244 - 244A)

भाग 11संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध(अनुच्छेद 245 - 263)

भाग 12वित्त, सम्पत्ति, संविदाएँ और वाद(अनुच्छेद 264 -300A)

भाग 13भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम(अनुच्छेद 301 - 307)

भाग 14संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ(अनुच्छेद 308 -323)

भाग 14Aअधिकरण(अनुच्छेद 323A - 323B)

भाग 15निर्वाचन(अनुच्छेद 324 -329A)

भाग 16कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबन्ध सम्बन्ध(अनुच्छेद 330- 342)

भाग 17राजभाषा(अनुच्छेद 343- 351)

भाग 18आपात उपबन्ध(अनुच्छेद 352 - 360)

भाग 19प्रकीर्ण(अनुच्छेद 361 -367)

भाग 20संविधान के संशोधनअनुच्छेद - 368

भाग 21अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध(अनुच्छेद 369 - 392)

भाग 22संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन(अनुच्छेद 393 - 395)

Indian flag





अनुसूचियाँ

भारत के मूल संविधान में मूलतः आठ अनुसूचियाँ थीं परन्तु वर्तमान में भारतीय संविधान में बारह अनुसूचियाँ हैं। संविधान में नौवीं अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन 1951, 10वीं अनुसूची 52वें संविधान संशोधन 1985, 11वीं अनुसूची 73वें संविधान संशोधन 1992 एवं बाहरवीं अनुसूची 74वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा सम्मिलित किया गया।


पहली अनुसूची - (अनुच्छेद 1 तथा 4) - राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन।


दूसरी अनुसूची - [अनुच्छेद 59(3), 65(3), 75(6),97, 125,148(3), 158(3),164(5),186 तथा 221] - मुख्य पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते [10]


भाग-क : राष्ट्रपति और राज्यपाल के वेतन-भत्ते,


भाग-ख : लोकसभा तथा विधानसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्यसभा तथा विधान परिषद् के सभापति तथा उपसभापति के वेतन-भत्ते,


भाग-ग : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन-भत्ते,


भाग-घ : भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के वेतन-भत्ते।


तीसरी अनुसूची - [अनुच्छेद 75(4),99, 124(6),148(2), 164(3),188 और 219] - विधायिका के सदस्य, मंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, न्यायाधीशों आदि के लिए शपथ लिए जानेवाले प्रतिज्ञान के प्रारूप दिए हैं।


चौथी अनुसूची - [अनुच्छेद 4(1),80(2)] - राज्यसभा में स्थानों का आबंटन राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों से।


पाँचवी अनुसूची - [अनुच्छेद 244(1)] - अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जन-जातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित उपबंध।


छठी अनुसूची- [अनुच्छेद 244(2), 275(1)] - असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के विषय में उपबंध।


सातवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 246] - विषयों के वितरण से संबंधित सूची-1 संघ सूची, सूची-2 राज्य सूची, सूची-3 समवर्ती सूची।


आठवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 344(1), 351] - भाषाएँ - 22 भाषाओं का उल्लेख।


नवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 31 ख ] - कुछ भूमि सुधार संबंधी अधिनियमों का विधिमान्य करण।पहला संविधान संशोधन (1951) द्वारा जोड़ी गई ।


दसवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 102(2), 191(2)] - दल परिवर्तन संबंधी उपबंध तथा परिवर्तन के आधार पर 52वें संविधान संशोधन (1985) द्वारा जोड़ी गई ।


ग्यारहवीं अनुसूची - [अनुच्छेद 243 छ ] - पंचायती राज/ जिला पंचायत से सम्बन्धित यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1992) द्वारा जोड़ी गई।


बारहवीं अनुसूची - इसमे नगरपालिका का वर्णन किया गया हैं ; यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) द्वारा जोड़ी गई।


भारतीय संविधान में कुछ विभेदकारी विशेषताएँ भी हैं


1. यह संघ राज्यों के परस्पर समझौते से नहीं बना है


2. राज्य अपना पृथक संविधान नहीं रख सकते है, केवल एक ही संविधान केन्द्र तथा राज्य दोनो पर लागू होता है


3. भारत में द्वैध नागरिकता नहीं है। केवल भारतीय नागरिकता है


4. भारतीय संविधान में आपातकाल लागू करने के उपबन्ध है [352 अनुच्छेद] के लागू होने पर राज्य-केन्द्र शक्ति पृथक्करण समाप्त हो जायेगा तथा वह एकात्मक संविधान बन जायेगा। इस स्थिति में केन्द्र-राज्यों पर पूर्ण सम्प्रभु हो जाता है


5. राज्यों का नाम, क्षेत्र तथा सीमा केन्द्र कभी भी परिवर्तित कर सकता है [बिना राज्यों की सहमति से] [अनुच्छेद 3] अत: राज्य भारतीय संघ के अनिवार्य घटक नहीं हैं। केन्द्र संघ को पुर्ननिर्मित कर सकती है


6. संविधान की 7वीं अनुसूची में तीन सूचियाँ हैं [संघीय सरकार|संघीय], [राज्य सूची|राज्य], तथा [समवर्ती सूची|समवर्ती]। इनके विषयों का वितरण केन्द्र के पक्ष में है।


6.1 संघीय सूची में सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय हैं


6.2 इस सूची पर केवल संसद का अधिकार है


6.3 राज्य सूची के विषय कम महत्वपूर्ण हैं, 5 विशेष परिस्थितियों में राज्य सूची पर संसद विधि निर्माण कर सकती है किंतु किसी एक भी परिस्थिति में राज्य, केन्द्र हेतु विधि निर्माण नहीं कर सकते-


क1. अनु 249—राज्य सभा यह प्रस्ताव पारित कर दे कि राष्ट्र हित हेतु यह आवश्यक है [2/3 बहुमत से] किंतु यह बन्धन मात्र 1 वर्ष हेतु लागू होता है


क2. अनु 250— राष्ट्र आपातकाल लागू होने पर संसद को राज्य सूची के विषयों पर विधि निर्माण का अधिकार स्वत: मिल जाता है


क3. अनु 252—दो या अधिक राज्यों की विधायिका प्रस्ताव पास कर राज्य सभा को यह अधिकार दे सकती है [केवल संबंधित राज्यों पर]


क4. अनु 253--- अंतराष्ट्रीय समझौते के अनुपालन के लिए संसद राज्य सूची विषय पर विधि निर्माण कर सकती है


क5. अनु 356—जब किसी राज्य में [राष्ट्रपति शासन] लागू होता है, उस स्थिति में संसद उस राज्य हेतु विधि निर्माण कर सकती है


7. अनुच्छेद 155 – राज्यपालों की नियुक्ति पूर्णत: केन्द्र की इच्छा से होती है इस प्रकार केन्द्र राज्यों पर नियंत्रण रख सकता है


8. अनु 360 – वित्तीय आपातकाल की दशा में राज्यों के वित्त पर भी केन्द्र का नियंत्रण हो जाता है। इस दशा में केन्द्र राज्यों को धन व्यय करने हेतु निर्देश दे सकता है


9. प्रशासनिक निर्देश [अनु 256-257] -केन्द्र राज्यों को राज्यों की संचार व्यवस्था किस प्रकार लागू की जाये, के बारे में निर्देश दे सकता है, ये निर्देश किसी भी समय दिये जा सकते है, राज्य इनका पालन करने हेतु बाध्य है। यदि राज्य इन निर्देशों का पालन न करे तो राज्य में संवैधानिक तंत्र असफल होने का अनुमान लगाया जा सकता है


10. अनु 312 में अखिल भारतीय सेवाओं का प्रावधान है ये सेवक नियुक्ति, प्रशिक्षण, अनुशासनात्मक क्षेत्रों में पूर्णतः: केन्द्र के अधीन है जबकि ये सेवा राज्यों में देते है राज्य सरकारों का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है


11. एकीकृत न्यायपालिका


12. राज्यों की कार्यपालिक शक्तियाँ संघीय कार्यपालिक शक्तियों पर प्रभावी नहीं हो सकती है।

BR Amebadkar





महत्वपूर्ण अनुच्छेद

Map of India



अनुच्छेद 1 :- भारत राज्यों का संघ होगा।



अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।


अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन।


अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूची व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां


अनुच्छेद 5 :- संविधान के प्रारम्भ पर नागरिकता


अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता


अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता।


अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता


अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का न


अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना


अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन


अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा


अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियाँ


अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता


अनुच्छेद 15 :- धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक।


अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता


अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अन्त


अनुच्छेद 18 :- उपाधियों का अन्त


अनुच्छेद 19 :- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता


अनुच्छेद 19 क :- सूचना का अधिकार


अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण


अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतन्त्रता का संरक्षण


अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार, निजता का अधिकार भी अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ही आता है।


अनुच्छेद 22 :– कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से संरक्षण


अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार, बेगारी एवं बलात श्रम पर प्रतिबंध


अनुच्छेद 24 :- 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों, खान या किसी खतरनाक उद्योग में कार्य नही कराया जा सकता है।


अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता


अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध की स्वतन्त्रता


अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण


अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार


अनुच्छेद 32 :-संवैधानिक उपचारों का अधिकार (संविधान की आत्मा)


अनुच्छेद 39 क :- सभी के लिए समान न्याय एवं निःशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।


अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन


अनुच्छेद 44 :- समान नागरिक संहिता


अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन


अनुच्छेद 48 क :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा


अनुच्छेद 49 :- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण


अनुच्छेद 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण


अनुच्छेद 51 :- अन्तरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा


अनुच्छेद 51 क :- मूल कर्तव्य


अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति


अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति


अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन


अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन प्रणाली


अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि


अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता


अनुच्छेद 58 :- राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए आहर्ताए


अनुच्छेद 60 :- राष्ट्रपति की शपथ


अनुच्छेद 61 :- राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया


अनुच्छेद 63 :- भारत का उप-राष्ट्रपति


अनुच्छेद 64 :- उप-राष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना


अनुच्छेद 65 :- राष्ट्रपति के पद की रिक्त पर उप-राष्ट्रपति के कार्य


अनुच्छेद 66 :- उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन


अनुच्छेद 67 :- उप-राष्ट्रपति की पदावधि


अनुच्छेद 68 :- उप-राष्ट्रपति के पद की रिक्त पद भरने के लिए निर्वाचन


अनुच्छेद 69 :- उप-राष्ट्रपति द्वारा शपथ


अनुच्छेद 70 :- अन्य आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन


अनुच्छेद 71. :- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धित विषय


अनुच्छेद 72 :-क्षमादान की शक्ति


अनुच्छेद 73 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार


अनुच्छेद 74 :- राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मन्त्रिपरिषद


अनुच्छेद 75 :- मन्त्रियों के बारे में उपबन्ध


अनुच्छेद 76 :- भारत का महान्यायवादी


अनुच्छेद 77 :- भारत सरकार के कार्य का संचालन


अनुच्छेद 78 :- राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमन्त्री के कर्तव्य


अनुच्छेद 79 :- संसद् का गठन


अनुच्छेद 80 :- राज्य सभा की सरंचना


अनुच्छेद 81 :- लोकसभा की संरचना


अनुच्छेद 83 :- संसद् के सदनो की अवधि


अनुच्छेद 84 :-संसद् के सदस्यों के लिए अहर्ता


अनुच्छेद 85 :- संसद् का सत्र सत्रावसान और विघटन


अनुच्छेद 87 :- राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण

युग पुरुष


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